कलीसिया के लिए परामर्श
अध्याय 13 - कलीसिया का संगठन
किसी को मसीह की आज्ञा का पालन करना है, किसी को उस कार्य को आगे बढ़ाना है जिसे उसने पृथ्वी पर आरंभ किया था, और यह अधिकार कलीसिया को ही दिया गया.इसी अभिप्राय से उसका संगठन किया गया है. ककेप 105.1
कलीसिया के अध्यक्षों को नियम का पाबन्द होना चाहिये और स्वयं नियमबद्ध रहना चाहिये तभी वे सफलता के साथ परमेश्वर की कलीसिया का अनुशासन कर सकते हैं और उनको सिखला सकते हैं कि वे सुशिक्षित सैनिकों की भांति मिलकर कार्य करें.रणभूमि में यदि कार्य-सफलता के लिये व्यवस्था और नियमों की आवश्यकता है तो उनकी उस युद्ध में जिसमें हम शामिल हैं कहीं अधिक आवश्यकता है क्योंकि वह मनोरथ जिसे हमें प्राप्त करना है चरित्र में उससे बहुमूल्य तथा उच्च कोटि का है जिसके लिये रणभूमि में विरोधी सेनाएं युद्ध कर रही हैं.जिस युद्ध में हम संलग्न हैं उसमें सार्वकालिक कल्याण जोखिम में हैं ककेप 105.2
स्वर्गदूत संयुक्त होकर कार्य करते हैं.उनकी गति में पूर्णव्यवस्था चरितार्थ होती है.स्वर्गीय सेना के ऐक्य व नियम को जितनी निकटता से हम अनुकरण करें उतना ही सफल उन स्वर्गीय कारिन्दों का प्रयत्न हमारे लिये होंगे.जिनका अभिषेक ऊपर से हुआ है वे अपनी कोशिशों में नियम,व्यवस्था तथा कार्य की एकता को प्रोत्साहन देते हैं तब परमेश्वर के दूत उनके संग सहयोग कर सकते हैं. परन्तु स्वर्गीय दूत अपनी छाप अनियमिता, अव्यवस्थितता तथा गड़बड़ी पर कभी नहीं लगाएंगे.हमारी शक्तियों को निर्बल करने, धैर्य का हास करने तथा कार्य सफलता में बाधा डालने की शैतानी कोशिशों का नतीजा ही ये सारी बुराइयां हैं. ककेप 105.3
शैतान भली भांति जानता है कि नियम पालन तथा संयुक्त कार्य द्वारा ही सफलता प्राप्त होती है वह भली भांति जानता है कि स्वर्ग से सम्बंधित प्रत्येक वस्तु पूर्ण व्यवस्था के अधीन है और अधीनता तथा पूर्ण व्यवस्था अनुशासन ही दूतगणों की गति की पहिचान है नाम मात्र के मसीहियों को स्वर्गीय प्रबंध से जितना दूर रख सके ऐसा करना उसको पूर्व निश्चित युक्ति है इस लिये वह परमेश्वर के लोगों को धोखा देता है और उन्हें विश्वास दिलाता है कि नियम तथा व्यवस्था आध्यात्मिकता के शत्रु हैं और उनकी एक मात्र सुरक्षा इसी में है कि वह प्रत्येक अपनी अपनी राह पकड़े और उन संयुक्त मसीही सम्प्रदायों से पृथक रहें जो व्यवस्था तथा कार्य में एकता स्थापन करने का परिश्रम कर रहे हैं. व्यवस्था व नियम स्थापन के प्रति जितने प्रयत्न किया जायं सारे के सारे भंयकर स्वतंत्रता में बाधक बतलाये जाते हैं अतः उनसे ऐसे बिदकते हैं जैसे पोप के धर्म से धोखा खाई हुई आत्मा,स्वाधीनता से सोचने तथा कार्य करने की स्वतंत्रता पर डींग मारती है और उसके एक सद्गुण कहती है. ककेप 105.4
मुझे बतलाया गया कि शैतान का विशेष काम यह है कि लोगों को महसूस करावे कि परमेश्वर का ऐसा इंतिजाम है कि वे अपने लिये स्वयं परिश्रम करें और अपना ही कोई ऐसा मार्ग अपनायें जिससे भाई लोग कोई आक्षेप न करें. ककेप 106.1
परमेश्वर ने पृथ्वी पर अपनी कलीसिया को प्रकाश का एक साधन बनाया है जिसके द्वारा वह अपना मनोरथ व इच्छा प्रकट करता है.वह अपने किसी एक दास को ऐसा अनुभव नहीं देगा जो स्वयं मंडली के अनुभव से विपरीत अथवा स्वतंत्र हो.वह एक मनुष्य को अपनी इच्छा का ज्ञान सम्पूर्ण कलीसिया के लिये कदापि न देगा कलीसिया स्वयं मसीह की अंधकार में छोड़ दी जाए अपनी दूरर्शित में वह अपने दासों को अपनी कलीसिया के निकट सम्पर्क में रखता है ताकि उनका भरोसा अपने पर अधिक न हो परन्तु उन पर अधिक रहे जिनको वह अपने काम को उन्नति देने के लिये नेतृत्व कर रहा है. ककेप 106.2