कलीसिया के लिए परामर्श

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सब्बत मानने की आशीचे

मुझे यह दिखलाया गया कि जितने चौथी आज्ञा को स्वीकार करके विश्राम दिन को मानते हैं उन पर सब्बत के दिन में समस्त स्वर्गीय गुणों की दृष्टि पड़ी रहती है और वे उनकी रक्षा करते हैं, जिन्होंने परमेश्वर को अपने-अपने दयों में भक्तिभाव रखते हुये, पवित्र जाना है और जिन्होंने सब्बत को पवित्र घड़ियों को अपनी योग्यतानुसार उन्नति की है और सब्बत को आनन्दमय बनाते हुये परमेश्वर का आदर किया है उनको स्वर्गदूत प्रकाश और स्वास्थ के विशेष वरदान दे रहे थे और उनको विशेष शक्ति भी दी गई. ककेप 53.2

स्वर्ग की मांगों को पूरा-पूरा पालन करने से शारीरिक तथा आध्यात्मिक आशीषं प्राप्त होती है. ककेप 53.3

“क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है जो विश्राम दिन को अपवित्र करने से बचा रहता है और अपने हाथ को सब भांति की बुराई करने से रोकता है.’’परदेशी भी जो यहोवा के साथ इस इच्छा से मिले हुये हैं कि उसकी सेवा टहल करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएं जितने विश्राम दिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा को पालते हैं, उसको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आकर अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूँगा.’’(यशायाह 56:2,6,7) ककेप 54.1

जब तक स्वर्ग और पृथ्वी स्थिर रहेंगे तब तक सब्बत परमेश्वर की सामर्थ्य का चिन्ह बना रहेगा. जब एदन फिर पृथ्वी पर लहरायेगा तब परमेश्वर का पवित्र दिन सूर्य के नीचे रहने वाले लोगों के द्वारा मान्य होगा. “विश्राम दिन से विश्राम दिन लों महिमामय नई पृथ्वी के सारे प्राणी मेरे सामने दण्डवत करने आया करेंगे, ‘’यहोवा का यही वचन है. ककेप 54.2