कलीसिया के लिए परामर्श

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अत्यंत स्वादिष्ट मसालेदार भोजन

गरम मसाले जिसका सेवन दुनिया के लोग अधिकता के साथ करते हैं पाचनशक्ति के लिये हानिकारक है. ककेप 281.6

इस तोव्रगामी युग में जितना कम उत्तेजक भोजन खाये जायं उतना ही अच्छा है.गरम मसाले स्वाभाविक रुप में हानिकारक हैं.राई,गरम मसाले,चटनी इत्यादि अन्य सामान पदार्थ आमाशय की चिड़चिड़ा और रक्त को उष्ण तथा अशुद्ध बनाते है.शराबी के आमाश्य के सूजन का चित्र अवसर मद्यपान के बुरे प्रभाव को दर्शाने में उपस्थित किया जाता है.गरम मसाले के प्रयोग से भी इसी प्रकार की सूजन आ जाती है तत्पश्चात सादा भोजन क्षुधा को तृत्त नहीं कर पाता.देह को तो उत्तेजक पदार्थ की अभाव महसूस होती है ककेप 281.7

कुछ लोगों ने तो अपने स्वाद को ऐसा बना रखा है कि जब तक उनको वही वस्तु न मिले जिसके वे आदी हो गये हैं उनको खाने में कोई मजा ही नहीं आता.यदि चटपटा मसालेदार भोजन उनके सामने रखा जाय तो अपने पेट से इस अग्निमय चाबुक द्वारा काम लेते हैं क्योंकि उसके संग ऐसा व्यवहार किया गया है कि वह अनुत्तेजक भोजन को कदापि स्वीकार नहीं करेगा. ककेप 281.8

मसाले से सर्वप्रथम ती आमाशय का कोमल अस्तर कुपित हो जाता है परंतु अंतिम में इस सूक्ष्म झिल्ली की स्वाभाविक शीघ्रग्राही गुण नष्ट हो जाता है.रक्त गर्म हो जाता है और पाशविक प्रवृति उत्तेजित हो जाती है और नैतिक तथा मानसिक शक्तियां कमजोर होकर अधर्म लालसाओं का दास बन जाती है. माता की अपने परिवार के सामने साधारण एवं पौष्टिक भोजन रखने के हेतु अध्ययन करना चाहिये. ककेप 281.9