कलीसिया के लिए परामर्श
बाइबल की शिक्षा
मसीह ने देखा कि लोग मूसा पर कितना ध्यान देते हैं इसलिए उसने सावधान किया कि उसके अनुयायी वस्त्र की सजावट पर अधिक ध्यान न दें. “तुम क्यों वस्त्रों की चिन्ता करते? सोसनों पर ध्यान करो वे कैसे बढ़ते हैं वे न मेहनत करते न कातते हैं पर मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलेमान भी अपने सारे बिभव में उनमें से एक के बराबर पहिने हुए न था.’’पहिरावे में घमंड और फिजूलखर्ची ऐसे पाप हैं जिनकी स्त्रियाँ अधिकतर शिकार होती हैं इसलिए इस बात सीधे उन्हीं से कही गई है. स्वर्ग और मोती का मूल्य मसीह की नम्रता और सुन्दरता से तुलना करने पर कितना कम ठहरता है. ककेप 239.2
मुझे इस सुसमाचार के अंश को लिखने के लिए कहा गया,स्वर्ग दूत ने कहा:-1तिभोथि 2:6,10. स्त्रियां संकोच और संयम के साथ सोहते हुए पहिरावन से अपने आप को सवारें न कि बाल गूंथने और सोने और मोतियों और बहुमूल्य कपड़ों से, पर जो इस भले कामों से, कि परमेश्वर की भक्ति का प्रण करने वाली स्त्रियों को यही सोहता है स्त्री को चुपचाप पूरी अधीनता से सीखना चाहिए.’‘ ककेप 239.3
1पतरस 3:2-4 के अनुसार ‘‘ और तुम्हारा सिंगार दिखावटी नहीं, अर्थात् बाल गूथने, और सोने के गहने,या भांति -भांति के कपड़े पहनना.वरन् तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व,नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इस का मूल्य बड़ा है.और पूर्वकाल में पवित्र स्त्रियां भी जो परमेश्वर पर आशा रखती थीं, अपने आप को इसी रीति से संवारती और अपने अपने पति के अधीन रहती थीं.’‘ ककेप 239.4
बहुत से लोग इन आदेशों को पुरानी समझकर अयोग्य समझते हैं परन्तु वह जिसने अपने चेलों को आदेश दिया वह हमारे युग के वस्त्र प्रेम से उत्पन्न खतरा को समझता था. इसलिए हमारे पास चितौनी का संदेश भेजा. क्या हम उसकी इस चितौनी को ध्यान न देकर बुद्धिमान बनेंगे? ककेप 239.5
वे जो सच्चाई से मसीह का अनुकरण करने का भरसक प्रयत्न करते हैं अपने वस्त्रों के पहिरावे का अवश्य ध्यान रखेंगे.इस ऊपर दिए हुए( 1पतरस 3:3,4) प्रभु के आदेश की मांग को पूरा करेंगे जिससे परमेश्वर स्पष्टता से वर्णन किया. ककेप 239.6
वस्त्रों में भी संयम रखना हमारा मसीही कर्तव्य है सादा पहिराव और हर प्रकार क आकर्षित आभूषणों से दूर रहना हमारे विश्वास के अनुकूल है. ककेप 239.7
बहुत से लोगों को इस शिक्षा की आवश्यकता है कि सब्बत के दिन आराधना में कैसे पहनना चाहिए.उनको ईश्वर के समीप साधारण गन्दे फटे हुए कपड़ों में नहीं आना चाहिए.हर एक के पास सब्बत का एक विशेष जोड़ा होना चाहिए.जिसको विशेषकर ईश्वर कोआराधना के दिन पहिना जाए.हमको दुनिया के फैशनों के सदृश नहीं बनना चाहिए और अपने कपड़ों के प्रति उदासीन रहना चाहिए.हमको हमेशा साफ,सुन्दर और बिना सजावट के रहना चाहिए.ईश्वर के संतान को आन्तरिक और बाहर रुप से पवित्र होना चाहिए. ककेप 239.8
विशेषकर हमारे कर्मचारियों की स्त्रियों को अपने पहिराव के सम्बन्ध में बाइबल की सादी शिक्षाओं को पालन करने में सावधानी करनी चाहिए.बहुत से इन विचारों को पुराने समझकर इस पर ध्यान नहीं देते परन्तु वह जिसने अपने चेलों को सिखाया वस्त्रों के प्रति प्रेम की भयानकता को भली भांति समझता था.क्या हम उसकी शिक्षा को बहुमूल्य समझकर उस पर ध्यान देंगे?कपड़ों पर खर्च अधिक मात्रा में बढ़ रही है इसका अंत इतना ही में नहीं होता, फैशन हमेशा बदलते रहते हैं और हमारी बहनें समय और खर्च को ध्यान न रखते उसी लोक पर चलती हैं.कपड़ों के ऊपर बहुत अधिक धन का व्यय होता है जब कि उसे परमेश्वर को दिया जाना चाहिए जिसे उसने दिया. ककेप 240.1