कलीसिया के लिए परामर्श
प्रत्येक मनुष्य के विषय में अच्छा सोचें.
जब हम अपने भाई के प्रति बुराई सुनते हैं हम उसमें सहभागी होते हैं.इस प्रश्न में ‘हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा?तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है,और हृदय से सच बोलता है;जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता और न अपनी मित्र की बुराई करता,और न अपनी पड़ोसी की निन्दा सुनता है; भजन 15:1-3.’‘ ककेप 232.3
क्या गपशप का संसार समाप्त हो जाएगा.यदि प्रत्येक मनुष्य यह स्मरण रखे कि जो आसानी से दूसरों की निर्बलताएं बताता वह अवसर पाने पर उसकी गलतियाँ भी दूसरों से कहेगा. हम को प्रत्येक मनुष्य के विषय में विशेषकर हमारे भाइयों के प्रति अच्छा सोचना चाहिए जब तक हमें उनके विषय में विरुद्ध सोचना न पड़े.हम को बुरे समाचारों पर शीघ्र विश्वास नहीं करना चाहिए.यह अकसर शत्रुता और गलत धारणा का परिणाम होता है या तथ्यों को बढ़ाकर या अस्वस्थ रुप से करने से होता है.जलन और सन्देह यदि एक बार भी स्थान को लें तो वे उसका परिणाम अवश्य दिखायेंगे.यदि कोई भाई बहक कर दूर चला जाए तो यह समय है जब कि आप उसके प्रति वास्तविक प्रेम दिखा सकते हैं.नम्रता से उसके पास जाइए,उसके साथ प्रार्थना कीजिए,उस अमूल्य कीमत को ध्यान में रखकर जो मसीह ने उसके छुटकारे के लिए चुकाई है.इस प्रकार आप एक आत्मा को बचाएगा और बहुतेरे पापों को ढापेंगे. ककेप 232.4
एक दृष्टिपात,एक शब्द या आवाज जो झूठ से रंजित हो किसी के हृदय में तीर का सा आघात कर सकती है और चिरस्थाई घाव बना सकती है.इसी प्रकार सन्देह या बुराई किसी के प्रति की जा सकती है जिसके लिए ईश्वर एक अच्छा कार्य आरम्भ करेगा और उसका प्रभाव या उपयोगिता नष्ट हो जाए कुछ ईश्वर एक अच्छा कार्य आरम्भ करेगा और उस का प्रभाव या उपयोगिता नष्ट हो जाए. कुछ जानवरों की किस्मों में,यदि उनके एक सदस्य को भी किसी प्रकार हानि पहुंचाई जाती है और वह गिर पड़ता है तो उसकी जाति के सब दूसरे सदस्य इसका पलटा लेते हैं. ऐसी ही दुष्ट भावना, बहुत से स्त्री पुरुषों में पाई जाती है जो नाम के मसीही कहलाते हैं. वे दूसरों को पत्थरवाह करने में फरीसियों के समान उत्साह दिखाते हैं और स्वयं अपने आप को दोषी ठहराते हैं.कुछ ऐसे लोग हैं जो दूसरों के अपराध और निर्बलताओं की और तो संकेत करते लेकिन अपने दोषों पर ध्यान ही नहीं देते और इस प्रकार परमेश्वर और मण्डली के लिए उत्साही होने का गौरव पाना चाहते हैं. ककेप 233.1
वह समय जो मसोह के सेवकों की आलोचना में बिताया जाता है प्रार्थना में और भी अच्छी रीति से बिताया जा सकता है.अकसर यदि वे जो दोष ढूंढते है सत्य को प्राप्त कर लें उनके विषय में जिनमें वे दोष ढूंढते हैं तो वे एक दूसरी ही धारणा रखने लगेंगे. कितना अच्छा हो यदि एक दूसरे की आलोचना करने के अलावा हम यह करें.मुझे अपनी मुक्ति के लिए परिश्रम करना है यदि मैं उसके संग सहयोग देना चाहता हूँ जो मेरी आत्मा को बचाना चाहता है तो मुझे सावधानी रखना है, मुझे अपने जीवन को प्रत्येक बुराई से दूर रखना चाहिए.मुझे मसीह में एक नई प्राणी बनना है मुझे हर एक कमजोरी पर जय पाना है.तब उनको निर्बल करने की अथवा जो बुराई से लड़ रहे हैं मैं उन्हें अपने साहसी शब्दों को कहकर दृढ़ और मजबूत बनाऊंगा. ककेप 233.2