कुलपिता और भविष्यवक्ता
अध्याय 42—व्यवस्था का दोहराया जाना
यह अध्याय व्यवस्था विवरण 4-6:28 पर आधारित है
प्रभु ने मूसा को बताया कि कनान पर स्वामित्व का नियुक्त समय पास ही था, और जब वृद्ध भविष्यद्बकता यरदन नदी और प्रतिज्ञा के देश पर दृष्टि डालती ऊंचाईयों पर खड़ा था, उसने गहरी रूचि से अपने लोगों की धरोहर को निहारा क्या यह सम्भव था कि कादेश में उससे हुए पाप के कारण उसके विरूद्ध दिया गया दण्डादेश रद्द किया जा सके? उसने आग्रहपूर्वक विनती की, “हे प्रभु यहोवा, तू अपने दास को अपनी महिमा और बलवन्त हाथ दिखाने लगा है, स्वर्ग में और पृथ्वी पर ऐसा कौन देवता है जो तेरे से काम और पराकम के कर्म कर सके? इसलिये मुझे पार जाने दे कि यरदन पार के उस उत्तम देश को, अर्थात उस उत्तम पहाड़ और लबानोन को भी देखने पाऊँ।-व्यवस्था विवरण 3:24-26। PPHin 473.1
उसे उत्तर मिला, “बस कर, इस विषय में फिर कभी मुझ से बातें न करना। पिसगा पहाड़ की चोटी पर चढ़ जा, और पूर्व, पश्चिमी, उत्तर दक्षिण चारों और दृष्टि करके उस देश को देख ले, क्योंकि तू इस यर्दन के पार जाने न पाएगा ।” व्यवस्थाविवरण 3:27। PPHin 473.2
बिना कुड़कुड़ाए मूसा ने परमेश्वर के आदेश के आगे समर्पण किया। और अब उसको इज़राइल की अधिक चिंता थी। उनके कल्याण के लिये जिस रूचि को वह महसूस करता था वैसा कौन महसूस करेगा? भरे हृदय से उसने फिर प्राथना की, “यहोवा जो सारे प्राणियों की आत्माओं का परमेश्वर है, वह इस मण्डली के लोगों के ऊपर किसी पुरूष को नियुक्त कर दे, जोउसके सामने आया-जाया करे, और उनका निकालने और पैठानेवाला हो, जिससे यहोवा की मण्डली बिन चरवाहे की भेड़-बकरियों के समान न रहे। गिनती 27:16,17। PPHin 473.3
यहोवा ने अपने दास की प्रार्थना को स्वीकार किया, और उत्तर आया, “तू नून के पुत्र यहोशू को लेकर उस पर हाथ रख, वह ऐसा पुरूष है जिसमें मेरा आत्मा बसा है, और उसको एलीआजार याजक के और सारी मण्डली के सामने खड़ा करके उनके सामने आज्ञा दे। और अपनी ओर से उसे सम्मानित कर, जिससे इज़राइलियों की सारी मण्डली उसका कहा माने ।”-गिनती 27:18-20 । यहोशू ने चिरकाल से मूसा की सेवा-टहल की थी, और चूंकि वह बुद्धिमत्ता, योग्यता और विश्वास का धनी था, उसे मूसा का उत्तराधिकारी चुना गया। PPHin 473.4
मूसा द्वारा उस पर हाथ रखने से और साथ ही इतना प्रभावशाली कार्य भार सौंपने से, यहोशू की विधिवत इज़राइल के अगुवे के रूप में अलग किया गया। उसे वर्तमान शासन में भी भागीदार होने की अनुमति मिली। यहोशू के संदर्भ में परमेश्वर का कथन मूसा के माध्यम से मण्डली में पहुँचाया गया, “और वह एलीआजार याजक के सामने खड़ा हुआ करे, और एलीआजार उसके लिये यहोवा से ऊरीम की आज्ञा पूछा करे। उसके कहने से वह जाया करे, और उसी के कहने से लौट भी आया करे।”-गिनती 27:21,23। PPHin 474.1
इज़राइल के सदृश्य अगुवे के पद को त्यागने से पूर्व, मूसा को निर्देश दिया गया, कि वह मिस्र से उनके छुटकारे का, और भीड़ में उनकी यात्राओं के इतिहास को उनके सम्मुख दोहराये, और सिने पर दी गई व्यवस्था को भी दोहरए । जब व्यवस्था दी गई, वर्तमान की मण्डली केकुछ ही लोग अवसर की महिमामय धार्मिकता को समझने के लिये व्यस्क थे, वे शीघ्र ही यरदन को पार कर, प्रतिज्ञा के देश का स्वामित्व लेने को थे और परमेश्वर उनके सम्मुख व्यवस्था का अधिकार प्रस्तुत करने और आज्ञाकारिता को समृद्धि की शर्त के तौर पर आदिष्ट करने को था। PPHin 474.2
मूसा लोगों के सम्मुख अन्तिम चेतावनियों और उपदेश देने को खड़ा हुआ। उसका चेहरा पवित्र प्रकाश से कांतिमान था। उसके बाल आयु के अनुसार सफेद हो चले थे, लेकिन उसका शरीर सीधा था, उसकी मुखाकृति स्वास्थ्य की अक्ष्य प्रबलता को अभिव्यक्ति करती थी, और उसकी दृष्टि स्पष्ट और पैनी थी। यह एक महत्वर्पूण अवसर था, और संवेदनशील होकर उसने उनके सर्वशक्तिमान रक्षक के प्रेम और दया को प्रस्तुत किया। PPHin 474.3
“जब से परमेश्वर ने मनुष्य को उत्पन्न करके पृथ्वी पर रखा, तब से लेकर तू अपने उत्पन्न होने के दिन तक की बातें पूछ, और आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक की बातें पूछ, क्या ऐसी बड़ी बात कभी हुईं या सुनने में आईं है? क्या कोई जाति कभी परमेश्वर की वाणी आग के बीच में से आती हुई सुनकर जीवित रही, जैसे कि तू ने सुनी है। फिर क्या परमेश्वर ने और किसी जाति को दूसरी जाति के बीच से निकालने को कमर बाँधकर परीक्षा, और चिन्ह और चमत्कार और युद्ध और एक बलवन्त हाथ, और बढ़ाए हुए हाथ, और अत्यन्त भयानक कार्यों द्वारा काम किये, जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने मिस्र में तुम्हारे देखते किये? यह सब तुझ को दिखाया गया, इसलिये कि तू जान रखे कि यहोवा ही परमेश्वर है, उसको छोड़ और कोई है ही नहीं।”- व्यवस्थाविवरण 4:32-35 PPHin 474.4
यहोवा ने जो तुम से स्नेह करके तुम को चुन लिया, इसका कारण यह नहीं था कि तुम गिनती में और सब देशों के लोगों से गिनती में थोड़ थे, यहोवा ने जो तुम को बलवन्त हाथ के द्वारा दासत्व के घर में से, और मिस्र के राजा फिरौन के हाथ से छुड़ाकर निकाल लिया, इसका यही कारण है कि वह तुम से प्रेम रखता है और उस शपथ को भी पूरी करना चाहता है जो उसने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी। इसलिये जान रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है, वह विश्वासयोग्य ईश्वर है, जो उससे प्रेम रखते और उसकी आज्ञाओं को मानते हैं उनके साथ वह हजार पीढ़ी तक अपनी वाचा का पालन करता और उन पर करूणा करता रहता है। व्यवस्थाविवरण 7:7-9। PPHin 475.1
इज़राइल के लोग अपने सारे कष्टों का आरोप मूसा पर लगाने को तत्पर थे, लेकिन अब उनका यह सन्देह कि मूसा घमण्ड, महत्वकांक्षा या स्वार्थ से नियन्त्रित था, दूर हो गया, और वे विश्वास से उसकी कही बातें सुनते रहे। मूसा ने सच्चाई से उनके सम्मुख उनके दोष और उनके पितरों के पापों को रखा। वे प्रायः भीड़ में अपनी लम्बी यात्रा के कारण अधीर और उपद्रवी महसूस करते थे, लेकिन कनान पर आधिपत्य के विलम्ब के लिये यहोवा उत्तरदायी नहीं था, वह उन से अधिक दुखी था कि वह उनको प्रतिज्ञा के देश का तत्काल स्वामित्व नहीं दिला सका, और सभी जातियों के सम्मुख, अपने लोगों के छुटकारे में अपनी प्रबल शक्ति का प्रदर्शन नहीं कर सका। परमेश्वर में अविश्वास के कारण, अपने अधर्म और घमण्ड के कारण वे कनान में प्रवेश करने के लिये तैयार नहीं थे। वे उनलोगों का कदाचित प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते थे, जिनका परमेश्वर यहोवा, क्योंकि वे परमेश्वर के पवित्र भले और उदार चरित्र के धनी नहीं थे। यदि उनके पूर्वज, परमेश्वर के अध्यादेशों का पालन करते, उसके निर्णयों के नियन्त्रण में, विश्वास में परमेश्वर के निर्देशन को समर्पित होते तो वे बहुत पहले एक समृद्ध, पवित्र और खुशहाल जाति के रूप में कनान में बस गए होते। समृद्ध देश में विलम्बित प्रवेश से परमेश्वर का अपमान हुआ और पड़ोसी देशों की दृष्टि में उसकी महिमा घट गई। PPHin 475.2
मूसा ने, जो परमेश्वर की व्यवस्था के मूल्य और विशेषता को समझता था, लोगों को आश्वस्त किया कि किसी भी राष्ट्र के पास ऐसे ज्ञानपूर्ण धर्मी और उद्धार नियम नहीं थे, जैसे कि इब्रियों को दिए गए थे। “सुनो”, उसने कहा, “मैंने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हे विधि और नियम सिखाए हैं कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उसमें तुम उनके अनुसार चलो। इसलिये तुम उनको धारण करना, क्योंकि अन्य देशों के लोगों के सामने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।”-व्यवस्थाविवरण 4:5-6 PPHin 475.3
मूसा ने उनका ध्यान “उस दिन की बातों”की ओर आकर्षित किया“जिसमें तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के सामने खड़े थे”। और उसने इब्री सेना को चुनौतीदी, “देखो, कौनसी ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब हम उस को पुकारते है? फिर कौन सी ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे सामने रखता हूँ”” आज, इज़राइल को दी गई चुनौती को दोहराया जा सकता है। परमेश्वर द्वारा प्राचीन काल के उसके लोगों को दिए गए नियम पृथ्वी के सबसे अधिक सभ्य जातियों के नियमों से अधिक विवेकी, बेहतर और मानवीय थे। राज्यों के नियमों में अपरिवर्तित हृदय के आवेग और दुर्बलता के चिन्ह है, लेकिन परमेश्वर की व्यवस्था पर पवित्र की छाप थी। PPHin 476.1
मूसा ने घोषणा की, “तुम को यहोवा लोहे के भट्ठे सरीखे मिस्र देश से निकाल ले आया है, इसलिये कि तुम उसका प्रजारूपी निज भाग ठहरो।” जिस देश में वे शीघ्र ही प्रवेश करने वाले थे, और परमेश्वर की व्यवस्था के प्रति आज्ञाकारिता की शर्त पर जो उनका होने वाला था, उसका वर्णन उनके लिये इस प्रकार किया गया- और इन शब्दों ने किस तरह इज़राइलियों के हृदयों को विचलित किया होगा, जब उन्होंने यह याद किया कि जिसने उस समृद्ध देश की आशीषों को इतने उत्साहपूर्वक तरीके से चित्रांकित किया था, उसे उनके पाप के कारण, अपने लोगों की मीरास में भागीदार होने से बाहर कर दिया गया। PPHin 476.2
“तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है” “जो मित्र देश के समान नहीं है, जहाँ से निकलकर आए हो, जहाँ तुम बीज बोते थे, और हरे साग के खेत के जैसे अपने पाँव से नालियाँ बनाकर सींचते थे, परन्तुजिस देश के अधिकारी होने को तुम पर जाने पर हो वह पहाड़ी और तराईयों का देश है और आकाश की वर्षा के जल से सिंचता है” “जल की नदियों का, और तराईयों और पहाड़ो से निकले गहरे सोतो का देश है, और वह गेहँ, जौ, दाखलताओं अंजीर, और अनारो का देश हे, और तेलवाले जैतून और मधु का भी देश है, उस देश में तुम पेट भर खाना खा सकोगे, और उसमें तुझे किसी चीज की घटी न होगी, वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहाँ के पहाड़ो में से तू ताँबा खोदकर निकाल सकेगा, “वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्वर यहोवा को सुधि रहती है, और वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तरलगी रहती है ।” -व्यवस्था विवरण 8:7-9, 11:10-12। PPHin 476.3
“जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे उस देश में पहुँचाए जिसके विषय में उसने अब्राहम, इसहाक और याकूब नामक तेरे पूर्वजों से तुझे देने की शपथ खाई, और जब वह तुझ को बड़े-बड़े और अच्छे नगर, जो तूने नही बनाए, और अच्छे-अच्छे पदार्थों से भरे हुए घर जो तूने नहीं भरे, और खुदे हुए कएँ, जो तू ने नहीं खोदे, और दाख की बारियाँ और जेतून के वृक्ष, जो तू ने नहीं लगाए, ये सब वस्तुएँ जब वह दे, और तू खाकर तृप्त हो, तब सावधान रहना, कही ऐसा न हो कि तू यहोवा को भूल जाए।” “इसलियें अपने विषय में तुम सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम उस वाचा को भूल जाओ, जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से बाँधी है.........क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा भस्म करने वाली आग है, वह जलन रखने वाला ईश्वर है।”यदि वे परमेश्वर की दृष्टि में बुरा करेंगे तो, फिर, मूसा ने कहा, “जिस देश के अधिकारी होने के लिये तुम यरदन पार जाने पर हो उसमें तुम जल्दी बिल्क॒ल नष्ट हो जाओगे।” PPHin 477.1
व्यवस्था के सार्वजनिक पूर्वाभ्यास के बाद मूसा ने, परमेश्वर द्वारा उसे दिये गए नियमों, विधान और दण्डाज्ञाओं को लिखने के कार्य समाप्त किया, और बलिदान सम्बन्धी विधियों को भी लिखा। जिस पुस्तक में इन्हें लिखा गया, उसे योग्य अधिकारियों के प्रभार में एक तरफ रखा गया। फिर भी महान अगुवे को डर था कि लोग परमेश्वर से दूर हो जाएंगे। एक रोमांचक और उत्कृष्ट संबोधन में उनके सम्मुख उन आशीषों को रखा जो आज्ञाकारिता की शर्त पर उनकी होती और उन श्रापों से भी अवगत कराया जो आज्ञा उल्लघंन के कारण उनपर पड़ते। PPHin 477.2
“यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएँ जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ चौकसी से पूरा करने को चित्त लगाकर उसकी सुने”, “धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में” “धन्य हो तेरी संतान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं को बच्चे......धन्य तेरी टोकरी और तेरा भण्डार। धन्य हो तू भीतर आते समय और धन्य हो तू बाहर जाते समय। यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएँगे.....तेरे भण्डारों पर और जितने कामों मे तू हाथ लगाएगा उन सभों पर यहोवा आशीष देगा। PPHin 477.3
“परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालन में जो में आज सुनता हूँ. चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेगा, “और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझ को पहुँचाएगा, वहाँ के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और श्राप का कारण समझा जाएगा।” “और यहोवा तुझ को पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तितर-बितर करेगा, और वहाँ रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के लिये अनजान काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा। और उन जातियों में तू कभी चैन नहीं पाएगा, और न तेरे पाँव को ठिकाना मिलेगा, लेकिन यहोवा तुझे एक काँपता हुआ हृदय देगा, ओर तेरी आँखे घुँधली पड़ जाएगी, और तेरा मन व्याकुल रहेगा। और तुझ को जीवन पर नित्य सन्देह रहेगा, और तू दिन रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा “क्योंकि तेरे मन में भय बना रहेगा, और तेरी आंखो को जो कुछ दिखाता रहेगा उसके कारण तू भोरको आह भरके कहेगा,” “”साँझ कब होगी। और साँझ को आह भरके करेगा, भोर कब होगी।” PPHin 478.1
प्रेरणा के आत्मा से, सदियों में झाँकते हुए, मूसा ने इज़राइल के राष्ट्र के रूप में पराजित होने और रोमियों की सेना द्वारा यरूशेलेम के विनाश के दृश्यों को चित्रांकित किया, “यहोवा तेरे विरूद्ध से, वरन् पृथ्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा, जिसकी भाषा तू नहीं समझेगा, उस जाति के लोगों का व्यवहार कर होगा, वे न तो बूढ़ो का मुहँ देखकर आदरकरेंगे, न बालकों पर दया करेंगे।” PPHin 478.2
सदियों पश्चात तीथुस के नेतृत्व में यरूशेलम की घेराबन्दी के समय लोगों की दर्दनाक पीड़ा और राष्ट्र के विनाश का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है, “वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहाँ तक खा जाएँगे कि तू नष्ट हो जाएगा, वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देशों के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊंची-ऊंची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएँ। तू अपने जिन जन्माए बेटे-बेटियों का माँस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देगा, खाएगा, क्योंकि घिर जाने और उस संकट में, जिसमें तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे डालेंगे।” “और तुम्हारे मध्य जो स्त्री यहां तक कोमल और सुकमार हो कि सुकमारपन और कोमलता के कारण भूमि पर पांव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति और अपनेजने हुए बच्चों को कर दृष्टि से देखेंगी, क्योंकि घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं को घटी के मारे उन्हें छुप कर खाएँगी।” PPHin 478.3
मूसा ने इन प्रभावशाली शब्दों में अपना उपदेश बन्द किया, “मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे सामने इस बात का साक्षी बनाता हूँ कि मैंने जीवन और भरण, आशीष और श्राप को तुम्हारे सामने रखा है, इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनो जीवित रहे, इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेरम करो, और उसकी बात मानो और उससे लिपटे रहो, क्योंकि तेरा जीवन और तेरे दिनों की लम्बी अवधि यही है, और ऐसा करने से जिस देश को यहोवा ने तेरे पूर्वजों अब्राहम, इसहाक, और याकूब को देने की शपथ खाई थी उस देश में तू वास करेगा।”-व्यवस्था विवरण 30:19,20। PPHin 479.1
इस सत्य से सभी को और अधिक प्रभावित करने के लिये, महान अगुवे ने इसे पवित्र छंदो में समाविष्ट कर दिया। यह गीत केवल ऐतिहासिक ही नहीं, भविष्यसूचक भी था। इसने, बीते दिनों में अपने लोगों के प्रति उसके अद्भुत तरीकों या उपायों का वर्णन तो किया ही, वरन् भविष्य की महान घटना, महिमा और सामर्थ्य में मसीह के दूसरे आगमन के समय निष्ठावानों की निर्णायक विजय का भी पूर्वाभास दिया। लोगों को इस काव्यात्मक इतिहास को समृति के सुपुर्द करने और अपनी संतान और संतानों की संतान को सिखाने का निर्देश दिया गया। मण्डली से अपेक्षा की जाती थी कि वे इस गीत को आराधना के लिये एकत्रित होने के समय गाएँ और प्रतिदिन के कार्य करते समय भी दोहराते रहे। अभिभावकों का यह कर्तव्य था कि वे अपने बच्चों के कोमल मन पर इन शब्दों की छाप छोड़े ताकि वे इन्हें कभी भी ना भूलें। PPHin 479.2
इज़राइलियों को विशेष रूप से, परमेश्वर की व्यवस्था के अभिभावक और रक्षक होना था, इसलिये उसके सिद्धान्तों की महत्ता और आज्ञा पालन की आवश्यकता को विशेष रूप से उनको, और उनके द्वारा उनके बच्चों और बच्चों के बच्चों को समझाया जाना था। अपने नियमों के सन्दर्भ में यहोवाआदेश दिया, “तू इन्हें अपने बाल बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बेठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते इनकी चर्चा किया करना। और इन्हें अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।” PPHin 479.3
आने वाले समय में जब बच्चे उनसे पूछे, “ये चेतावनियाँ और विधि और नियम, जिनके मानने की आज्ञा हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को दी है, इनका प्रयोजन क्या है?” तब अभिभावकों को उनके लिये अपनाए गए परमेश्वर के उदार व्यवहार व तरीकों का इतिहास दोहराना था- किस तरह प्रभु ने उन्हें छुटकारा दिलाया कि वे उसकी आज्ञा का पालन कर सके। उन्हें अपने बच्चों को यह भी बताना था, “और यहोवा ने हमें ये सब विधियाँ पालन करने की आज्ञा दी, इसलिये कि हम अपने परमेश्वर यहोवा का भय माने, और इस प्रकार सदैव हमारा भला हो, और वह हम को जीवित रखे, जैसा कि आज के दिन है और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में उसकी आज्ञा के अनुसार इन सारे नियमों का पालन करेंगे, तो यह हमारे लिये धर्म ठहरेगा। PPHin 480.1