मसीही सेवकाई

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अध्याय — 5
कलीसिया एक प्रशिक्षण केन्द्र

समय की माँग

आज सबसे ज्यादा जिसकी जरूरत कलीसिया को ऊपर उठाने की है वह यह है कि बुद्धिमान मजदूर दूसरों को अच्छा काम करने और योग्यता बढ़ाने का बड़ा काम करें। ऐसी योग्यता जो गुरू के काम को और शिक्षा को बढ़ाने में इस्तमाल हो। प्रभु के सेवकों को काम सौंपे जाने की बढ़िया सुनियोजित योजना बनाकर सारे कलीसियाओं को भेजी जानी चाहिए छोटे-बड़े सभी कलीसियाओं के सदस्यों को निर्देश दिये जायें कि चर्च की बढ़ोतरी के लिये किस प्रकार प्रयास करना है। और अविष्वासियों के विश्वास को भी बढ़ाना है। प्रशिक्षण और षिक्षण दोनों की ही जरूरत है, वे जो जा-जाकर कलीसियाओं से मिलते हैं, उन्हें उन विश्वासी भाई-बहनों को व्यवहारिक प्रशिक्षण देकर तरीके बताने चाहिए कि प्रचार कार्य पूरी तरह से किया जाये। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:117) ChsHin 77.1

परमेश्वर चाहता है कि उसकी कलीसिया में अनुशासन हो और उसके सदस्य जगत में वचन की रौशनी फैलाने के लिये पूरी तरह फिट व योग्य हों। ऐसी शिक्षा लोगों को दी जानी चाहिए जो कि सैंकड़ों लोगों को इस प्रकार तैयार कर दे कि वे अपना बहुमूल्य गुण लोगों में बांट सकें। उन्हें सीखा सकें। इन गुणों के उपयोग से मनुश्यों को उनके विश्वास व परमेश्वर पर भरोसा रखने में पूरी तरह से तैयार हों तथा एक षुद्ध मन, षुद्ध व पवित्र जीवन तथा भ्रश्टाचार रहित सिद्धांतों का पालन करें। तब कहीं प्रभु यीशु की वह महान भलाई का काम पूरा होगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:431, 432) ChsHin 77.2

हर एक कार्यकर्ता को पूरी तरह से समझदार और योग्य होना चाहिए, तब ही वह प्रभु यीशु की तरह उच्च स्तर की सच्चाई लोगों तक पहुँचा सकता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:70) ChsHin 78.1

इस बेहतरीन योजना को पूरा करने के प्रयास में बिल्कुल भी देरी नहीं होना चाहिए, जिसके द्वारा कलीसिया के सदस्यों को शिक्षित किया जाना है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:119) ChsHin 78.2

सबसे बड़ी सहायता जो हमारे लोगों को दी जा सकती है वो ये है कि उन्हें परमेश्वर का काम करना सिखाया जाये और वे केवल प्रभु पर ही भरोसा रखें, प्रचारकों पर नहीं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:19) ChsHin 78.3

ऐसा देखा गया हैं कि जितने भी धर्मोपदेश आज तक सुनाये गये हैं, उनसे एक ऐसा समूह अभी तक तैयार नहीं हुआ, जो स्वयं का इंकार कर सकतो हो। इस विशय को अब तक के सबसे गंभीर परिणामों की तरह महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए। हमारा भविश्य इसी बात पर पूरी तरह दांव पर लगा है। कलीसियायें बिखर रही हैं, क्योंकि जगत को अपने गुणों से रौशन करने के काम में वे सफल नहीं हो सके। जरूरत है कि सारे निर्देश सावधानी पूर्वक दिये जायें, जो प्रभु यीशु की शिक्षा से सीखे हों, ताकि सभी सच्चाई की रौशनी का व्यवहारिक रूप से इस्तेमाल करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:431) ChsHin 78.4

लोग बहुत से धर्मोपदेश सुन चुके हैं, किन्तु क्या उन्हें यह सिखाया गया है कि उनके लिये क्या किया जाये, जिनके लिये प्रभु यीशु ने अपनी जान दी? क्या उनके समक्ष एक लक्ष्य रखा गया है? एक समय-सीमा की रेखा खींच दी गई है? कि वे परमेश्वर के लिये काम करने की आवश्यकता को सही अर्थ में समझें और उस काम में हिस्सा लें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:431) ChsHin 78.5

ये शिक्षा और अभ्यास ही के द्वारा संभव है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति के अचानक आ पड़ने या आपातकाल का सामना करने के योग्य हों और एक बुद्धिमानी पूर्ण योजना की आवश्यकता होती है, जिसमें हर एक को उसकी योग्यता के अनुसार सही जगह सही काम करने को दिया जाये, जिससे वह अनुभव प्राप्त करने तथा जिम्मेदारियों को निभाने के लिये सक्षम हो। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:221) ChsHin 78.6