ख्रीष्ट का उद्देश्य पाठ
- इस पुस्तक के विषय में जानकारी
- प्रस्तावना
- अध्याय 1 - दृष्टान्तों में अध्यापन
- अध्याय 2 - बीज बोने वाला बीज बोने गया
- अध्याय 3 - पहले अंकुर, फिर कोपलें
- अध्याय 4 - खरपतवार
- अध्याय 5 - राई के बीज के समान
- अध्याय 6 - बीज बोने के अन्य उपकरण
- अध्याय 7 - खमीर के समान
- अध्याय 8 - छुपा हुआ खजाना
- अध्याय 9 - मोती
- अध्याय 10 - जाल
- अध्याय 11 - नई और पुरानी चीजों
- अध्याय 12 - देने को कहाना
- अध्याय 13 - दो उपासक
- अध्याय 14 - क्या परमेष्वर अपने चुने हुओं का न्याय न करेगा
- अध्याय 15 - यह व्यक्ति पापियों को स्वीकारता है।
- अध्याय 16 - खोया और मिला है
- अध्याय 17 - इसे इस वर्ष भी रहने दो
- अध्याय 18 - राजमर्गो और सड़क के किनारे जाये
- अध्याय 19 - क्षमा का माप
- अध्याय 20 - हानि जो लाभ है
- अध्याय 21 - एक महान खाड़ी को स्थिर करना
- अध्याय 22 - कह और कर
- अध्याय 23 - परमेश्वर की दाख की बारी
- अध्याय 24 - एक शादी परिधान के बिना
- अध्याय 25 - तोड़े
- अध्याय 26 - अधर्म के धन से मित्र
- अध्याय 27 - कौन मेरा पड़ोसी है
- अध्याय 28 - अनुग्रह का पुरूस्कार
- अध्याय 29 - दूल्हे से मिलने के लिये