कलीसिया के लिए परामर्श

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पार्थिव कलीसिया का स्वर्गीय कलीसिया से संयोग

परमेश्वर की पृथ्वी पर की कलीसिया स्वर्गीय कलीसिया के साथ ऐक्य रखती है.पृथ्वी पर के विश्वासी और स्वर्गीय प्राणी जो पाप में नहीं गिरे एक ही कलीसिया का निर्माण करते हैं. प्रत्येक स्वर्गीय प्राणी पवित्र जनों की सभा में जो पृथ्वी पर परमेश्वर की उपासना के लिये एकत्र होते हैं दिलचस्पी लेता ककेप 100.5

स्वर्गीय न्यायालय के भीतरी भाग में वे पृथ्वी के बाहरी भाग में दी गयो मसीह के साक्षियों की साक्षीको सुनते हैं और पृथ्वी के उपासकों की स्तुति तथा धन्यवाद स्वर्गीय गीत में परिणित किया जाता है और स्तुति तथा आनंद की लय स्वर्गीय आंगनों में गूर्जाती है क्योंकि आदम की पतित संतान के लिये मसीह की मृत्यु अकारथ नहीं गई.जब स्वर्गीय दूत चश्मे के स्त्रोत से जल पीते हैं तो पृथ्वी पर पवित्र लोग सिहांसन से बहती पवित्र धार में से पीते है उस धार में से जो परमेश्वर के नगर आमोद-प्रमोद से भर देती है. ककेप 101.1

आह ! अच्छा होता कि हम सब महसूस कर सकते कि स्वर्ग पृथ्वी के कितना निकट आ गया है! जब कि पार्थिव संतान को मालूम भी नहीं तो उनके साथी दीप्तिमान दूत हैं.एक मौन साक्षी प्रत्येक प्राणी की रक्षा करता है और उसे मसीह की ओर खींचता है.जब तक आस है,जब तक पवित्रआत्मा का सामना नहीं किया जाता जिससे उनको हमेशा की हानि होती है. तब तक स्वर्गीय प्राणी उनकी रक्षा करते रहते हैं.इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि पवित्र लोगों के प्रत्येक सम्मेलन में परमेश्वर के दूत उपस्थित होते हैं और साक्षियों,गीतों तथा प्रार्थनाओं को सुनते रहते हैं. यह भी स्मरण रखना चाहिये,कि हमारी स्तुतियों की त्रुटियों की पूर्ति स्वर्गीय दूतगणों की गायन मंडली द्वारा की जाती है. ककेप 101.2

फिर जब सब्बत ब सब्बत एकत्र होते उसके नाम की स्तुति करते जिसने आपको अंधकार में से निकालकर अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है. ‘’जिसने हमें प्यार कर अपने लोह में हमारे पापों को धो डाला’’उसकी हृदय से उपासना हो.व्याख्यानदाता के संदेश का भार मसीह का प्रेम हो.प्रत्येक स्तुति के गायन को साधारण भाषा में उसका वर्णन हो. परमेश्वर की आत्मा की प्रेरणा से प्रार्थनाए प्रेरित हों. जब जीवन के वचन का प्रचार किया जा रहा है तो आपकी हार्दिक साक्षी यह हो कि आप उस स्वर्गीय संदेश को स्वीकार करते हैं. ककेप 101.3

परमेश्वर शिक्षा देता है कि हमें उसके घर में एकत्र होना चाहिए कि पूरे प्यार के सद्गुणों का पालन पोषण करें.ऐसा करने से पृथ्वी के निवासी उन मकानों में रहने योग्य होंगे जिन्हें मसीह अपने प्यार करने वालों के लिए तैयार करने गया है.वहां पर वे मंदिर में हर सब्बत को और हर नए चांद को मेने और उसकी स्तुति और धन्यवाद में ऊंचे स्वर से गीतों को ऊँचे स्वर से गीतों को उठाने को एकत्र होंगे जो सिंहासन पर बैठा है. ककेप 101.4