कलीसिया के लिए परामर्श

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धर्म का व्याव्रहारिक प्रकाश

स्वामी को सेवकाई के कार्य में जब हम तन मन से क्रियाशील नहीं होते हैं तब हम अपने विश्वास को धोका देते हैं. केवल खीष्टियान धर्म ही जो तन मन से क्रियात्मक रुप धारण कर प्रकट होता है आज्ञालंघन तथा पाप में पड़े हुए लोगों पर अपना प्रभाव डालेगा.प्रार्थना करने वाले नम्र व सुशील विश्वासी मसीह जो अपने कर्मों से प्रकट करते हैं कि उनकी सबसे बड़ी अभिलाषा उस सत्य को बताने को है जिससे सारे लोगों की जांच की जाएगी के लिए बाहुल्य फसल इकट्ठा करेंगे. ककेप 59.6

हमारी कलीसिया में कमजोर और निर्बल विश्वास के लिये कोई बहाना नहीं है. “हे आशा धरे हुये बंदियो गढ़ की ओर फिरो.’‘ (जकर्याह 9:12)हमारी दूतों की शक्ति मसीह में है.वह पिता के सामने हमारा वकील है. वही अपने राज्य के खण्ड-खण्ड में अपने लोगों पर अपनी इच्छा प्रगट करने भेजता है. वही अपनी कलीसियों के बीच चलता फिरता है, वह अपने अनुयाइयों को पवित्र,उच्चतर तथा कुलीन बनाना चाहता है.जो सचमुच उन पर विश्वास रखते हैं इनका प्रभाव संसार में जीवन की सुगंध होगी. वह अपने दाहिने हाथ में तारों को संभालता है और उसका अभिप्राय है कि इनके द्वारा अपनी ज्योति जगत को देवे. इस प्रकार उसकी इच्छा है कि अपने लोगों को स्वर्गीय मण्डली की उच्चतर सेवा के लिये तैयार करे. निस्सन्देह उसने हमें भारी काम करने को दिया है. आइये हम उसको दृढ़ संकल्प तथा सच्चाई से करें. हम अपने जीवन में दिखलायें कि सत्य ने हमारे लिये क्या-क्या किया है. ककेप 60.1

विभिन्न धार्मिक प्रयत्नों को उच्चतर श्रेणी में लाने के लिये आत्म-त्याग,आत्मबलिदान, अजयशक्ति तथा अधिकांश प्रार्थना का मूल्य भुगताना पड़ा था. जो लोग अब कार्य क्षेत्र में आ रहे हैं उनके लिए खतरा है कि कहीं वे अयोग्य रहने में सन्तोष प्राप्त करें और कहें कि अब इतने बड़े बलिदान व परिश्रम, ऐसी कठिन और नापसन्द मेहनत की आवश्यकता नहीं है जैसी इस सन्देश के नेताओं ने भुगती थी. और अब तो समय बदल गयो अब परमेश्वर का काम चलाने के लिये साधन उपलब्ध है.यह जरुरी नहीं कि वे अपने को ऐसी कठिन परिस्थिति में डालें जैसे इस सन्देश के प्रांरभ में अनेकों को करनी पड़ी थी. ककेप 60.2

लेकिन यदि काम की वर्तमान अवस्था में वैसा ही परिश्रम तथा आत्म बलिदान की उत्सुकता रहती जैसी इसके आरंभ में थी तो हम इसका सौगुना परिणाम देखते जो हम इस समय देख रहे हैं. ककेप 60.3

हमारा व्यवसाय उत्तम श्रेणी का है. सब्बत मानने वाले ऐड्वेनटिस्ट होने के नाते से हम इकरार करते हैं कि हम परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन करते हैं, अपने त्राणकर्ता के आगमन की बाट देख रहे हैं. परमेश्वर के थोड़े से विश्वास योग्य लोगों को सबसे गम्भीर चितावनी का संन्देश सौंपा गया है. हमको अपने वचनों तथा कर्मों से प्रगट करना चाहिये कि हम उस जिम्मेदारी को जो हमारे ऊपर रखी गई है महसूस करते हैं. हमारा प्रकाश इतनी स्पष्टता से चमकना चाहिये कि दूसरे भी देख सकें कि हम अपने दैनिक जीवन से पिता की बड़ाई करते है कि हमारा सम्पर्क स्वर्ग से है और मसीह की मोरास में भागौ हैं कि जब वह पराक्रम और महिमा में प्रगट होगा तब हम भी उसकी तरह होंगे. ककेप 60.4