कलीसिया के लिए परामर्श
अध्याय 65 - यहोशू और स्वर्गदूत
यदि वह पर्दा जो दृश्य को अदृश्य संसार से जुदा करता है उठाया जा सके और परमेश्वर के लोग उस महान वादविवाद को जो मसीह और उसके दूतों और शैतान और उसकी दुष्ट सेना के बीच मनुष्य के उद्वार के लिए जारी है देख सकते;यदि वे आत्माओं को पाप के बधंन से बचाने के उस आश्चर्यजनक कार्य को और दुष्ट की ईष्र्या से उनकी रक्षा निमित्त उसको (परमेश्वर की शक्ति के निरंतर उपयोग को समझ सकते तो वे शैतान की युक्तियों का सामना करने को अच्छी तरह तैयार हो जाते.त्राण की योजना के विस्तार और महत्व के और मसीह के साथ सहकारी होने के नाते उस काम की श्रेष्टता के सामने उसके मन गंभीर होते.वे नम्र व दीन होते और फिर भी यह जानते हुए कि समस्त स्वर्ग उनके त्राण में दिलचस्पी रखता है. ककेप 356.1
शैतान के और मसीह के काम का और लोगों पर दोष लगाने वाले को पराजय करने में हमारे मध्यस्थ के सामर्थ्य का एक प्रभावशाली तथा चिताकर्षक उदाहरण जकर्याह नबी की भविष्यवाणी में दिया गया है.पवित्र दर्शन में नबी ने यहोशू महायाजक को “कुचैले वस्त्र पहिने हुए’’परमेश्वर के दूत के सामने खड़े देखा तो अपने लोगों की सख्त तकलीफ के समय परमेश्वर की कृपाओं के लिए विनती कर रहा है.शैतान उसके दाहिने हाथ विरोध करने को खड़ा है.महायाजक अपने तईं अथक अपने लोगों को शैतान के अभियोगों से बचा नहीं सकता,वह यह दावा नहीं करता कि इस्राएल निर्दोष है,मैले कुचैले वस्त्र से,लोगों के पापों का प्रतिरुप प्रगट करके जिन्हें वह लोगों के प्रतिनिधि के रुप में उठा रहा था, वह दूत के सामने खड़ा होके उनके अपराधों को मानकर फिर भी उनकी दीनता तथा पश्चाताप की ओर संकेत करता है और पाप क्षमा करने वाले त्राणकर्ता के अनुग्रह पर भरोसा रखते हुए विश्वास में परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का दावा करता है. ककेप 356.2
तब दूत जो स्वयं मसीह और पापियों का त्राणकर्ता है अपने लोगों पर दोष लगाने वाले का मुंह बंद कर देता है और यह घोषणा करता है, “हे शैतान यहोवा तुझ को बुड़क,यहोवा जो यरुशलेम को अपना लेता है वही तुझे घुड़के ; क्या यह आग से निकाली हुई लुकटी सी नहीं?’’(जकर्याह 3:2)जैसे यहोशू के मध्यस्थ का कार्य स्वीकार हुआ, तैसे ही यह आज्ञा निकाली, ‘’इस के ये कुचैले वस्त्र उतारों, और यहोशू से स्वर्गदूत यह घोषणा करता है,“देख मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है और तुझे सुन्दर सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूँ” “सो उन्होंने उसके सिर पर याजक के योग्य शुद्ध पगड़ी रखी और उसको वस्त्र पहिनाये.’’(जकर्याह 3:4,5)उसके निजी पाप और उसके कौम के पाप क्षमा किये गये.इस्राएलियों को नया वस्त्र पहिनाया गया ...मसीह की धार्मिकता उनके हिसाव में लगाई गई. ककेप 356.3
जिस प्रकार शैतान ने यहोशू और उसके लोगों पर दोष लगाया उसी प्रकार वह उन पर दोष लगाता है जो परमेश्वर की दया और अनुग्रह की कोज कर रहे हैं.प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में वह भाइयों का दोषदायक जो रात दिन हमारे ईश्वर के आगे उन पर दोष लगाता था’’(प्रकाशितवाक्य 12:10) कर के दोषित किया गया है.हर आत्मा के ऊपर जो अधर्म को उक्ति से छुड़ायी गई है और जिसका नाम मेम्ने की जीवन की पुस्तक में दर्ज है वादविवाद दुहराया जायेगा.शैतान के कुटुम्ब से परमेश्वर के कुटुम्ब में जब कभी कोई जन स्वीकार किया जाता है तो यह दुष्ट आत्मा के दृढ़ विरोध को उभारे बगैर नहीं होता.शैतान परमेश्वर को खोजियों के पापों से क्रोधित होकर उन पर दोष नहीं लगाता.वह उनके दोषपूर्ण चरित्र से बहुत प्रसन्न होता है.उनके परमेश्वर की व्यवस्था के उल्लघंन से ही वह उनके ऊपर अधिकार प्राप्त कर सकता है. ककेप 356.4
मसीह से बैर रखने ही के कारण उसके अभियोग उत्पन्न होते हैं. त्राण की योजना द्वारा यीशु मानव परिवार के ऊपर शैतान के कबूजे को तोड़ रहा है और उसके अधिकार से आत्माओं को छुड़ा रहा है.प्रधान विद्रोही की घृणा व द्वेष भड़क जाती है जब वह मसीह की प्रधानता के प्रमाण देखता है और पैशाचित शक्ति तथा चतुराई से वह उसके हाथ से उन मनुष्यों की शेष सन्तान को छोन लेने की कोशिश करता है, उन्होंने त्राण को स्वीकार किया है. ककेप 357.1
वह लोगों को नास्तिकता की ओर ले जाकर उनके विश्वास को परमेश्वर से हटा देता है,उसके प्रेम से अलग कर देता है;वह उनको उसकी व्यवस्था तोड़ने का प्रलोभन देता है, फिर उन को कैदी करने का दावा करता है और उनको अपने हाथ से छीन लिये जाने में मसीह के अधिकार पर वादविवाद करता है.वह जानता है कि जो लोग परमेश्वर से क्षमा और अनुग्रह उत्साहपूर्वक माँगते हैं वे उन्हें मिलते हैं;इस लिये वह उन्हें निरुत्साह करने के लिये उनके पापों को उनके सामने रखता है.जो लोग परमेश्वर की आज्ञा पालन करने की कोशिश करते हैं वह उनके विरुद्ध निरंतर मौका ढुंढता रहता है.यहां तक कि वह उनके उत्तम से उत्तम और स्वीकार करते योग्य सेवाएं भ्रष्ट जैसे दिखलाने की कोशिश करता है.अनगिनित धूर्ततम और कठोरतम् युक्तियों द्वारा वह उन पर दंड की आज्ञा निश्चित करने का प्रयत्न करता है. ककेप 357.2
मनुष्य इन दोषों का मुकाबला स्वयं नहीं कर सकता.अपने पाप-रंगे वस्त्र में अपराधों को मानते हुये वह परमेश्वर के सामने खड़ा है.परन्तु यीशु हमारा वकील उन सब के पक्ष में जिन्होंने पश्चाताप और विश्वास द्वारा अपनी आत्माओं को उसको सुरक्षा में सौंप दिया है एक प्रभावशाली विनय पेश करता है.वह उनके मनोरथ की सिफारिश करता है और उन पर दोष लगाने वाले को कलवरी की जबरदस्त दलील से परास्त करता है.क्रूस की मृत्यु तक उसकी ओर से परमेश्वर की व्यवस्था की पूर्ण आज्ञाकरिता ने उसको स्वर्ग में और पृथ्वी में सारा अधिकार दिलाया है और वह अपने पिता से अपराधी मनुष्य के लिए करुणा और मेल मिलाप का दावा करता है.अपने लोगों पर दोष लगाने वाले को वह कहता है,’‘ हे शैतान,यहोवा तुझको घुड़के.’’ये मेरे रक्त से मोल लिये हुये लोग हैं, आग से निकाली हुई लुकटौ.“विश्वास के साथ उसके ऊपर भरोसा रखते हैं उनको ये शांति दायक आश्वासन दिया जाता है: “देख मैं ने तेरा अधर्म दूर किया और तुझे सुन्दर सुन्दर वस्त्र पहना देता हूँ.’‘ ककेप 357.3
सब जिन्होंने मसीह की धार्मिकता का वस्त्र पहिना है वे उसके सामने चुने हुये, विश्वस्त और सच्चे लोग जैसे खड़े होंगे.शैतान को उन्हें मसीह के हाथ से छीनने का कोई अधिकार न होगा.जिस आत्मा ने पश्चाताप और विश्वास द्वारा उसकी शरण का दावा किया है मसीह उसको शत्रु के अधिकार में कभी न जाने देगा.उसने वचन दिया है’’वह मेरे साथ मेल करने को मेरी शरण ले,वह मेरे साथ मेल करते. (यशायाह 27:5)जो प्रतिज्ञा यहोशू से की गई वह सब के लिये है. “यदि तू...जो कुछ मैं ने तुझे सौंप दिया हैं उसकी रक्षा करे तो ...मैं तुझको इनके बीच में जो पास खड़े हैं आने जाने दूंगा.’‘ (जकर्याह 3:7)परमेश्वर के दूत इस पृथ्वी में भी उनके दोनों ओर चलेंगे और अंत में वे स्वर्गदूतों के बीच खड़े होंगे जो परमेश्वर के सिहांसन को घेरे हुये हैं. ककेप 357.4
इस तथ्य द्वारा कि परमेश्वर के स्वीकृत लोग उसके सन्मुख मैले कुर्चीले वस्त्र पहिने प्रदर्शित किये गये हैं परमेश्वर से नाम के कहलाने वाले लोगों की दीनता तथा हृदय टटोलने की ओर अग्रसरी होनी चाहिये.जो लोग सचमुच अपनी आत्माओं की सत्य पालन द्वारा शुद्ध कर रहे हैं वे अपने को बहुत दीन समझेंगे.जितनी निकटता से वे मसीह का निर्दोष चरित्र देखेंगे उतना ही दृढ उनकी इच्छा उसके स्वरुप के अनुसार बनने की होगी और उतना ही कम वे अपनी पवित्रता व शुद्धता की ओर ध्यान देंगे.परन्तु जब हम अपनी अपराधी स्थिति को महसूस करते हैं तो उस समय हमें मसीह को अपनी धार्मिकता पवित्रता तथा त्राण स्वरुप स्वीकार करना चाहिये.शैतान के अभियोगों का हम उत्तर नहीं दे सकेंगे.केवल मसीह ही हमारे पक्ष में प्रभावशाली निवेदन कर सकता हैं.वही दोष लगाने वाले का मुहं उन तर्को द्वारा बंद कर सकता है जिनकी बुनियाद हमारे नहीं किन्तु उसी के सद्गुणों पर पड़ी है. ककेप 358.1