कलीसिया के लिए परामर्श

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शपथ लेना

मै ने देखा कि कुछ परमेश्वर के लोगों ने किरिया खाने के बारे में बड़ी भूल की हैऔर शैतान ने इससे फायदा उठाकर उनको सताना चाहा और उनसे परमेश्वर का रुपया छीनना चाहा.मैं ने देखा कि हमारे प्रभु के वचन कि, ‘’परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ कि कभी शपथ न खाना,न तो स्वर्ग की क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है, परंतु तुम्हारी बात हाँ की हाँ,या नहीं की नहीं हो;क्योंकि जो कुछ इससे अधिक होता है वह बुराई से होता है’’(मत्ती 5:34,37)यह बात आम बातचीत की ओर संकेत करती है. ककेप 321.5

कुछ लोग अपनी बातचीत में अतिशय उक्ति करते हैं. कुछ अपने जीवन की किरिया खाते हैं.दूसरे अपने सिर की शपथ खाते हैं. कुछ मामले की यथार्थता को बतलाने के लिये स्वर्ग और पृथ्वी को गवाह ठहराते हैं.कुछ कहते हैं कि यदि उनकी बात में कुछ झूठ पाया जाय तो परमेश्वर उनको मार डाले.इसी प्रकार की आम किरिया के बारे में यीशु अपने शिष्यों को चितावनी दे रहा है. ककेप 321.6

मैं ने देखा कि परमेश्वर को देश के कानूनों से उस तक सरोकार है जब तक यीशु स्वर्गीय मंदिर में है शासनकर्ताओं तथा लोगों द्वारा परमेश्वर को रोकने वाली आत्मा महसूस की जायगी.परन्तु शैतान अधिकांश रुप में संसार के जन साधारण पर नियंत्रण रखता है और यदि देश में कानून न होते तो हमें बड़ा दु:ख भोगना पड़ता मुझे बतलाया गया कि जब वस्तुत: आवश्यक हो तो और नियमानुकूल परमेश्वर की संतान को साक्षी देनी पड़े,तो वे परमेश्वर को गवाह ठहरावें कि जो कुछ वे कह रहे है सत्य बिल्कुल सत्य है,इसमें परमेश्वर के अवज्ञ नहीं हो रही है. ककेप 321.7

मैं ने देखा यदि पृथ्वी पर कोई उचित से किरियाधीन शपथ खा सकता है तो वह मसीही पुरुष है वह परमेश्वर के चेहरे की रोशनी में रहता है.उसी की शक्ति से वह मजबूत होता है.और जब महत्वपूर्ण विषय नीति के अनुसार हो तो मसीही पुरुष जैसा कोई व्यक्ति नहीं है जो परमेश्वर से कुशल रीति से विनती कर सकता है.मुझे दूत ने इस बात पर विचारने की आज्ञा दी कि परमेश्वर अपने स्वयं की सौगंध खाता है. ककेप 321.8