कलीसिया के लिए परामर्श
सच्चे नबी के व्यावहारिक परीक्षण
धर्म पुस्तक की इन चार भारी जाँचों के अलावा परमेश्वर ने ऐसे प्रमाण दिये हैं जिनसे स्पष्ट हो जाता है कि यह कार्य उसी के मार्गदर्शन से है. इन में ये है: ककेप 29.6
1. संदेश का सामायिोनाक हःपरमेश्वर के लोगों को कोई विशेष आवश्यकता होती है और सन्देश ठीक समय पर उस जरुरत की पूर्ति के लिए भेजा जाता है जिस प्रकार मिसिज व्हाइटको प्रथम दर्शन दिया गया था. ककेप 29.7
2.सन्देशों की व्यावहारिक प्रकृति:मिसिज व्हाइट को दर्शनों द्वारा दी गयी सूचनाएं व्यावहारिक मूल्य रखती थीं जो व्यावहारिक आवश्यकताओं को पूरा करती थी. देखिये साक्षियों द्वारा दिये गये परामर्श हमारे दैनिक जीवन में किस प्रकार प्रवेश करते हैं ककेप 29.8
3.सन्देशों का उच्च आत्मिक स्वर:उनका सम्बंध सामान्य बच्चों के से मामलात से नहीं किन्तु उत्कृष्ट उच्च स्तर विषयों से होता है और जिनकी भाषा भी अत्युतम है. ककेप 30.1
4.दर्शन के दिये जाने का ढंग:अनेक दर्शन भौतिक घटनाओं के साथ दिये गये थे. भूमिका के प्रारंभिक अध्यायों में वर्णन किया जा चुका है कि मिसिज़ व्हाइट का दार्शनिक अनुभव बाइबल के नबियों जैसा था. यद्यपि यह एक जांच नहीं हो सकती वरन् एक प्रमाण तो अवश्य है. ककेप 30.2
5.दर्शन निश्चित रुप में अनुभव ही थे केवल प्रभाव ही नहीं:दर्शन में मिसिज व्हाइट ने आँखों से देखा, कानों से सुना और दिल में महसूस किया और स्वर्गदूतों द्वारा सन्देश प्राप्त किये.दर्शनों का कारण उत्तेजना तथा कल्पना नहीं था. ककेप 30.3
6.मिसिज व्हाइट आसपास के लोगों से प्रभावित नहीं होती थी:एक मनुष्य को उन्होंने लिखा, ‘आप कदाचित् सोचते होंगे कि लोगों ने मेरे मन को पक्षपाती बना दिया है. यदि मेरी ऐसी स्थिति है तो मैं इस योग्य नहीं कि परमेश्वर का कार्य मुझे सौंपा जाए.’ ककेप 30.4
7.उनके समकालीन उनके काम की सराहना करते थे:कलीसिया के सदस्य जो मिसिज व्हाइट के साथ रहते तथा काम करते थे और अनेक जो कलीसिया के बाहर भी थे वे उनको वास्तव में परमेश्वर के दूत’ जैसे देखते थे, जो उनके निकटतम रहते थे वे उनकी बुलाहट तथा कार्य पर बड़ा विश्वास रखते थे. ककेप 30.5
बाइबल की ये चारों कसौटियां और स्पष्ट प्रमाण जो परमेश्वर ने अपने लोगों को दिये हैं ताकि उनका विश्वास सन्देश और सन्देशदाता पर जम, हमें यकीन दिलाते हैं कि यह काम परमेश्वर का है और निस्सन्देह विश्वास के योग्य है. ककेप 30.6
ई.जी. व्हाइट की अनेक पुस्तकें कलीसिया के लिए बहुमूल्य परामर्शो व आदेशों से भरपूर हैं. चाहे ये साक्षियाँ आम तौर की हो या परिवारों या व्यक्तियों के लिए व्यक्तिगत हों ये आज भी हमारे लिए वैसे ही लाभदायक हैं. इस प्रसंग में मिसिज़ व्हाइट कहती है: ककेप 30.7
“जिस हाल कि साक्षियों में दी चेतावनी व आदेश विशेष व्यक्तियों के लिये हैं फिर भी दूसरों पर ये उतने ही जोर के साथ लागू हो सकते हैं जिनके ऊपर इस रीति से कोई संकेत नहीं किया गया था. मुझे मालूम हुआ कि यह मेरा कर्तव्य है कि कलीसिया के लाभार्थ इन व्यक्तिगत साक्षियों को छपवाऊँ---- ककेप 30.8
मैं साधारण खतरों और गलतियों के प्रति और परमेश्वर से प्रेम रखने वालों और उसकी आज्ञापालन करने वालों के कर्तव्य के प्रति अपने मंतव्यों, विचारों को सुझाने का कोई श्रेष्ठतर उपाय नहीं जानती सिवाय इसके कि उनके सामने साक्षियों को रख दें. ककेप 30.9
साक्षियों का यह अनुचित प्रयोग होगा यदि हम किसी साथी पर दोषारोपण करने के लिए पढ़े और उनके आधार पर कुछ ऐसी बातें निकालें जिनसे अपने सहयोगी की आलोचना कर सकें. साक्षियों को हथियार के रुप में भी प्रयोग नहीं करना चाहिए कि उनके द्वारा भय दिखाकर किसी स्त्री-पुरुष की अपनी तरह चलने के लिए बाध्य करे. कुछ ऐसे भी मामले हैं जो केवल उस व्यक्ति और परमेश्वर के बीच तय होने चाहिए. दूसरों को उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. ककेप 30.10
उपदेश का चिन्तन ऐसा होना चाहिए कि उन मौलिक सिद्धान्तों को खोजें जो हमारे जीवन पर लागू हो सकें. कुछ सन्देश चेतावनी और ताड़ना के रुप में विशेष समय और स्थान के लिए दिये गये थे, तौभौ वे सिद्धान्त अपने लगाव में विश्वव्यापी और प्रयोग में सम्मिलित हैं. मानव ह्दय सम्पूर्ण विश्व में एक ही प्रकार का है. एक ही समस्या दूसरे की समस्याओं से मिलती जुलती है. मिसिज व्हाइट ने लिखा कि, ” एक व्यक्ति की गलतियों पर ताड़ना देने से परमेश्वर का अभिप्राय अनेक व्यक्तियों के सुधारने के लिए है.” ” वह कुछ लोगों की गलतियों को स्पष्ट कर दिखाता है जिससे दूसरों को शिक्षा मिले.’‘ अपने जीवन समाप्त होने के निकट मिसिज व्हाइट ने निम्न परामर्श दिया: ककेप 31.1
” परमेश्वर की आवाज़ उसके पवित्र आत्मा द्वारा चेतावनी और आदेश के रुप में हमारे पास निरन्तर आती है----समय और आपत्तियों ने आदेश को प्रभावित नहीं किया---सन्देश के प्रारंभिक दिनों में जो आदेश दिया गया उसको इन अन्तिम दिनों में भी पालन करने में कोई भय नहीं है.” ककेप 31.2
जो उपदेश नीचे चित्रत किये गये हैं वे एलन जी. व्हाइट की अनेक पुस्तकों से लिये गये हैं परन्तु-अधिकतर टेस्टीमौनीज ट्रेजर्स की तीन प्रतियों से लिये गये हैं जो कि टेस्टीमोनीज फॉर दी चर्च अर्थात् कलीसिया के लिये साक्षियों का विश्व-संस्करण है और उस आदेश को प्रगट करती है जो उस कलीसिया के लिए लाभदायक समझा जाता है जहाँ की सदस्यता इतनी थोड़ी है कि वह एक मध्यम आधार की प्रति छपवाने की आज्ञा नहीं देती. इन सन्देशों को छाँटने तथा व्यवस्थित करने का काम एक बड़ी कमेटी द्वारा किया गया, जो एलन जी. व्हाइट पब्लिकेशन के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में दिये हुए अधिकार से हुआ जिनको नबुवत के आत्मा के सन्देशों के प्रयोग तथा रक्षण का दायित्व सौंपा गया था. संग्रहित पुस्तकें प्राय: संक्षिप्त हैं और व्यावहारिक मौलिक सिद्धांतों तक ही सीमित है इस प्रकार विस्तृत विषय सम्मिलित है. ककेप 31.3
“अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो तब तुम स्थिर रहोगे. उसके नबियों को प्रतीति करो तब तुम कृतार्थ हो जाओगे.’’(2 इतिहास 20:20) ककेप 31.4
- दी ट्रस्टीज ऑफ एलन जी. व्हाइट पब्लिकेशन