कलीसिया के लिए परामर्श

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स्वास्थ्य सुधार में हठधर्मी हानिकारक

हमारे हठधर्मी से स्वास्थ्य सुधार की क्षति कुछ लोग जब कि शुद्ध अन्त:करण से अनुचित भोजनों से परहेज करते हैं देह के पोषण के लिये जरुरी तत्वों को जुटाने में उपेक्षा करते हैं.जो लोग स्वास्थ सुधार को हठधर्मी की दृष्टि से देखते हैं वे अस्वदिष्ट पकवान तैयार करने के खतरे में हैं और ये उन्हें ऐसा स्वादहीन बनाते हैं कि वे उनसे कोई सन्तुष्टता नहीं होती.भोजन इस रीति से तैयार होना चाहिये कि उससे भूख बढ़े और बलवर्द्धक हो.जिन भोजन तत्वों को देह की आवश्यकता है उन से उसे वंचित न रखा जाय.मैं नमक का उपयोग करती हूं और सदा पास रखती हूँ क्योंकि नमक बजाय नुकसानदायक होने के रक्त के लिये आवश्यक है.सब्जियों को थोड़ा दूध या मलाई मिलाकर अथवा कुछ उसी प्रकार की वस्तु से स्वादिष्ट बनाना चाहिये. ककेप 295.3

मक्खन के द्वारा उत्पन्न होने वाले रोगों के खतरों के तथा बालकों द्वारा किये गये अंडों के खुले दिल से उपयोग की बुराइयों के बारे में पहले हो चितावनियां दी जा चुकी हैं,तौभी हमें अच्छी तरह से देख रेख की हुई तथा योग्य रीति से परवरिश की हुई मुर्गियों के अंडे इह्यतेमाल करने को किसी नियम का उल्लंघन नहीं समझना चाहिये.अंडे में वे तत्व पाये जाते हैं जो विशेष प्रकार के विष को निष्क्यि करने में चिकित्सा सम्बंधी साधन हैं. ककेप 295.4

कुछ लोगों ने दूध, अंडा तथा मक्खन से परहेज करने में देह को योग्य पोषण पहुंचाने में असफलता प्राप्त की है अत: नतीजा यह हुआ कि वे कमजोर होकर काम करने योग्य न रहे.यों स्वास्थ्य सुधार बदनाम हो गया.वह कार्य जिसे हमने ठीक रीति से बनाना चाहा उन चीजों के असमंजस में पड़ गया जिन्हें परमेश्वर ने न चाहा और मडंली को काम करने की शक्ति कमजोर हो गई.परन्तु परमेश्वर इन अति ढीठ विचारों के परिणाम को रोकने में हस्तक्षेप करेगा.सुसमाचार पापी वंश को एक रुप में लाएगा.उसका काम है कि धनवान और कंगाल दोनों को मसीह के चरणों पास लाये. ककेप 295.5

वह समय आयेगा जब हमें अपनी खुराक में से कुछ पदार्थों को जिन्हें हम अब इह्यतेमाल करते हैं जैसे दूध,मलाई तथा अंडे पृथक करने होंगे परन्तु यह जरुरी नहीं कि हम अपने ऊपर अकाल तथा हद दर्जे के प्रतिबंध लगाकर झंझट में पड़े.उस समय तक ठहरिये जब ऐसी पस्थितियां उत्पन्न हो और परमेश्वर उसके लिये राह तैयार करे. ककेप 295.6

जो स्वास्थ्य सुधार के नियमों को घोषित करने में सफल होना चाहते हैं, उन्हें परमेश्वर के वचन को अपना मार्गदर्शक तथा उपदेशक बनाना चाहिये.जब स्वास्थ्य सुधार के नियमों के शिक्षक ऐसा करेंगे तौभी वे सुविधाजनक भूमि में खड़े हो सकेंगे.जिन हानिकारक पदार्थों को हम ने अपनी भोजन सूची से अलग कर दिया है उनके स्थान में आरोग्यकर, स्वादिष्ट भोजन को प्रयोग करने में चूक करने से हमें स्वास्थ सुधार के विरुद्ध गलत साक्षी नहीं देनी चाहिये.उत्तेजि पदार्थों की क्षुधा को किसी शक्ल में प्रोत्साहन न दौजिये.केवल सादा स्वास्थ्य वर्द्धक खाना खाकर स्वास्थ्य सुधार के नियमों के परमेश्वर का सर्वदा धन्यवाद करिये.सारी बातों में यथार्थता तथा खरेपन को बरतिये तभी आप को अनमोल विजय प्राप्त होगी. ककेप 296.1