महान संघर्ष
पाठ ६ - यीशु का बदला हुआ रूप
मैंने देखा कि चेलों का विश्वास इस रूपान्तर से बहुत मजबूत हुआ। ईश्वर ने यीशु के चेलों को कहा, यीशु मसीह ही प्रतिज्ञा किया हुआ मसीह है, उसका पक्का प्रमाण देना चाहा। उनके नीरस और कडुवा जीवन की अभिज्ञाता के समय अपना विश्वास से न भटकें इसी ख्याल से यह प्रमाण दिया गया। पहाड़ पर के रूपान्तर के समय ईश्वर ने मूसा और एलिय्याह को यीशु के दुःख और मृत्यु सम्बन्धी बात करने को भेजा था। स्वर्गदूतों को भेजने के बदले ईश्वर ने उन्हें भेजा, जो दुनियाँ में रहकर यहाँ के दुःख-तकलीफों से गुजरें हैं। यीशु मसीह की चमकदार और महिमापूर्ण चेहरा को देखने के लिये कुछ ही चेलों को चुना गया था। उन्होंने उसका श्वेत वस्त्र की चमकीलापन को देखा और ईश्वर की महिमा की तेज ध्वनि को भी सुना - “यह मेरा प्रिय पुत्र है उसकी सुनो।” । GCH 21.1
एलिय्याह ईश्वर के साथ चला-फिरा था। उसका काम आनन्दमय नहीं था। ईश्वर ने उसके द्वारा जगत के पापों को फटकारा था। वह ईश्वर का नबी था। अपने प्राण को बचाने के लिये एक जगह से दूसरे जगह भागता-फिरता था। उसको जंगली जानवरों की तरह शिकार खेला जाता था। ईश्वर ने एलिय्याह को जीवित रूप में स्वर्ग उठा लिया था। स्वर्गदूतों ने उसे उठा कर महिमा के साथ स्वर्ग में बैठा दिया था। GCH 21.2
मूसा को ईश्वर ने इस जगत में बहुत आदर दिया था। उसके पहिले जितने लोग जीते थे, उन सब से वह बड़ा माना जाता है। वह ईश्वर के साथ मित्र के समान आमने सामने बात करता था। महिमामय ज्योति से घिरा हुआ ईश्वर को देखने का मौका मूसा को मिला था। मूसा ही के द्वारा ईश्वर ने इस्त्राइली जाति को मिस्त्र की दासता की बेड़ी से छुड़ाया था। मूसा इस्त्राइलियों के बीच एक विचवाई कर्ता था। वह सदा इस्त्राइली और ईश्वर के बीच का क्रोध की वकालत करता था। जब ईश्वर का क्रोध इस्त्राइलियों के पाप के कारण उन पर भड़क उठता था तो मूसा ही था जो दोनों को मेल कराता था। ईश्वर ने प्रतिज्ञा की कि यदि मूसा चाहे तो वह इस्त्राइल को नष्ट कर दें और मूसा से ही एक बड़ी जाति उत्पन्न करें। मूसा ने ईश्वर से ऐसा नहीं करने के लिये गिड़गिड़ा कर प्रार्थना की और अपना प्रेम दिखाया। मूसा ने बड़े दुःख के साथ ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा कि हे ईश्वर तू उन से अपना गुस्सा हटा दें और बदले में मेरा नाम को जीवन की पुस्तक से काट दें। GCH 21.3
जब इस्त्राइलियों को जंगल में पीने का पानी नहीं मिल रहा था तो वे ईश्वर और मूसा के विरूद्ध कुडकुड़ा कर कहने लगे कि मूसा हमें तथा हमारे बच्चों को मार डालने के लिए जंगल में लाया है। ईश्वर ने उनका कुडकुड़ाना को सुन कर मूसा को अपनी लाठी से पत्थर पर पीटने को कहा ताकि उनके लिये पीने का पानी मिले। मूसा ने चट्टान को मार कर पानी निकाला और अपने लिये गौरव प्राप्त किया। इस भगोड़ी जाति का लगातार कुडकुड़ाने के कारण मूसा को बहुत उदास होना पड़ा। येड़ी देर के लिए मूसा ने ईश्वर का नेतृत्व को भूला दिया कि कैसे उसने उन्हें अगुवाई की थी। उनका कुडकुड़ाना तो मूसा के विरूद्ध नहीं था पर ईश्वर के। उसने अपने वास्ते सोचा कि उनसे प्रेम करने के बदले वह कितना दुःख सहा और इसके बदले कितना थोड़ा प्रेम पाया। GCH 22.1
दूसरी बार जब मूसा चट्टान को मारा तो ईश्वर का आदर करने में चूक गया और इस्त्राइलियों के सामने उसका गौरव नहीं कर सका। ईश्वर मूसा से नाराज हो कर बोला कि तू कभी कानान देश में प्रवेश न करेगा। इस्त्राइलियों के लिये ईश्वर की योजना थी कि उन्हें ऐसी परिस्थिति में डालकर जरूरत के मुताबिक आश्चर्य कर्म कर उनके मनों को अपनी ओर खींचना जिससे वे उसकी महिमा करें और ईश्वर को सदा स्मरण करें। GCH 22.2
जब मूसा पर्वत से दस आज्ञा की दो पट्टियों को लेकर उतर रहा था तो उसने इस्त्राइलियों को सोने का बछड़ा की पूजा करते देखा तो वह बहुत गुस्सा होकर उसे फेंक कर तोड़ डाला। मैंने देखा कि मूसा ने ऐसा कर पाप नहीं किया। वह तो ईश्वर की महिमा के लिये ईष्र्या कर रहा था और उसी का गुस्सा था। परन्तु जब वह अपनी महिमा चाह रहा था जो ईश्वर के लिए था, उसमें उसने पाप किया। ईश्वर ने इसी कारण उसे प्रतिज्ञा किया हुआ देश जाने नहीं दिया। GCH 23.1
शैतान मूसा के विरूद्ध कोई पाप हूँढ़ रहा था ताकि वह उस पर दोष लगा सके। जब मूसा ने अपने को ऊपर उठाया तो ईश्वर उससे नाराज हुआ। इस बात में शैतान मूसा को गिराने में सफल हुआ। इस पाप के कारण मूसा शैतान का अधीन हुआ और पाप के कारण मरना पड़ा। यदि वह ईश्वर के कहने के मुताबिक चट्टान को नहीं मारता और दूसरी बार बात करके पानी निकालता तो निश्चय ईश्वर उसे कानन देश पहुँचाता। मूसा को जीते जी स्वर्ग ले जाता। GCH 23.2
मुझे दर्शन मिले कि मूसा मर गया। उसका शरीर सड़ने के पहले मिखाएल स्वर्गदूत आकर उसे जीवित कर दिया। शैतान मूसा का शरीर को पाने का दावा पेश करता है पर मिखाएल दूत जिला कर उसे स्वर्ग ले गया। शैतान ने उस का मुर्दा को पाने का प्रसत्न कर ईश्वर से लड़ाई की। मूसा का शरीर को लेने के कारण शैतान ने ईश्वर को अन्यायी ठहराया। मिखाएल ने शैतान को नहीं घुड़का जौभी की, उसकी ही परीक्षा से ईश्वर का दास पाप में गिरा था। रख्रीस्त ने नम्रता से अपने पिता से बात कर कही कि - हे ! शैतान तुझे ईश्वर घुड़कता है। यीशु के साथ कुछ चेले खड़े थे उनके बीच में उसने कहा कि तुममें से कोई तो मृत्यु को न चखोगे, जब तक स्वर्ग का राज्य नहीं आता हैं। रूपान्तर के समय यह प्रतीज्ञा पूरी होती है। यीशु का चेहरा बदल कर सूर्य जैसा चमकने लगा। उसका वस्त्र श्वेत और चमकीला था। मूसा मर गया था पर जिलाया गया था। वह उनलोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो मर गए हैं पर यीशु के दूसरे आगमन के समय जी उठेंगे। एलिय्या नबी नहीं मरा था। वह जीते जी स्वर्ग चला गया। वह उन लोगों को दिखाता है जो यीशु के दूसरे आगमन के समय नहीं मरेंगे पर अमरता में बदल कर स्वर्ग चले जायेंगे। चेलों ने यीशु का इस महिमामय दृश्य को आश्चर्यचकित हो कर देखा। इसके बाद बादल ने उन्हें छिपा लिया। एक गौरवपूर्ण तथा कम्पानेवाली आवाज सुनाई दी - ‘यह मेरा प्रिय पुत्र है जिसकी तुम सुनो। GCH 23.3
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मत्ती १७, मरकुस ९, निर्गमन ३२:३२ गिनती २०:११ यहूदा ९
GCH 24.1