कलीसिया के लिए परामर्श
अध्याय 7 - कलीसिया के प्रकाशन
हमारे छापे खाने का काम परमेश्वर के मार्गदर्शन अनुसार और उसकी विशेष देखरेख में स्थापित हुआ. उसी रुपरेखा एक विशेष अभिप्राय को पूरा करने के हेतु खींची गई.सेवंथ-डे ऐडवेनटिस्ट लोग परमेश्वर की ओर से विशेष लोग के रुप में चुने गये हैं जो संसार से पृथ्क है. सत्य को कुल्हाड़ी से उसने उनको जगत की खान से खोद निकाला है और अपने सम्पर्क में ले आया है. उसने उनको अपना प्रतिनिधि बनाया है और आशा के अन्तिम काम में उनको राजदूत होने का बुलावा दिया है. सत्य की सब से बड़ी सम्पति जो कभी मानव को दी गई है;परमेश्वर की ओर से मनुष्य को दी गई सबसे गम्भीर तथा भयंकर चितावनी जगत को देने के लिये उनको सौंपी गई है और इस काम को पूरा करने में हमारे छापेखाने सबसे प्रभावशाली साधन है: ककेप 69.1
हमारे मुद्रणालयों से जो प्रकाशन भेजे जाते हैं वे परमेश्वर को मिलने के लिये एक दल तैयार करेंगे. ककेप 69.2
यदि कोई काम दूसरे कामों से अधिक महत्व रखता है तो वह हमारे प्रकाशनों को जनसाधारण के पास पहुंचने का ही है, इस प्रकार धर्मशास्त्र को खोजने की ओर उनका नेतृत्व करना है.मिशनरी काम अर्थात् हमारे प्रकाशनों को परिवारों में उपस्थित करना, उनके साथ बातचीत करना तथा उनके लिये प्रार्थना करना एक ऐसा उत्तम कार्य है जो पुरुष व स्त्रियों को चरवाहे का कार्य करने के निमित शिक्षित करेगा. ककेप 69.3
हमारे प्रकाशनों को बेचना सुसमाचार की एक महत्वपूर्ण तथा अति उपयोगी शाखा है. हमारे प्रकाशन उन स्थानों तक जा सकते हैं जहां सभाएं कभी नहीं की जा सकती. ऐसी जगहों में विश्वास योग्य उपदेशक-कैनवेसर जीवित प्रचारक का स्थान ले लेता है. किताबों के फरोख्त के काम(कैनवेसिंग)से सत्य उन हजारों के पास पहुंच जाता है जो किसी अन्य रीति से कभी नहीं सुन सकते थे. ककेप 69.4
कैनवेसरों को देश के भिन्न-भिन्न भागों में जाना चाहिये.इस काम का महत्व प्रचार के काम के बराबर है.हमारे सामने जो भारी काम है उसके सफल करने के वास्ते जीवित उपदेशक तथा मौन दूत दोनों की आवश्यकता है. ककेप 69.5
कैनवैसिंग काम की नियुक्ति परमेश्वर ने की है कि हमारी पुस्तकों में जो प्रकाश पाया जाता है उसको लोगों के सामने उपस्थित किया जाय और संसार के सामने आध्यात्मिक शिक्षण तथा प्रकाश के हेतु जितना जल्दी हो सके आवश्यकीय पुस्तकें लाने के महत्व से कैनवेसरों का मन प्रभावित होना चाहिये.यह वही काम है जिसे परमेश्वर चाहता है कि उसके लोग इस समय में करें.जो अपने तई कैनवेसर के रुप में परमेश्वर को समर्पण कर देते हैं वे चितावनी के अंतिम संदेश को जगत को देने में सहायता कर रहे हैं. इस काम के मूल्य का पूरी रीति से अनुमान नहीं किया जा सकता क्योंकि यदि कैनवेसर परिश्रम न करे तो बहुत सारे चितावनी के संदेश को कभी नहीं पावे. ककेप 69.6
हमारे प्रकाशन जगह-जगह जाने चाहिये. वे कई भाषाओं में प्रकाशित हों.तीसरे दूत का संदेश इसी माध्यम के द्वारा और जीवित शिक्षक द्वारा दिया जाना चाहिये.इस समय के सत्य पर विश्वास रखने वाले जागो.अब आप का कर्तव्य है कि हर साधनों द्वारा उनकी सहायता करें जो सत्य समझते हैं ताकि उसका प्रचार करें. रुपये पैसे का कुछ अंश जो हमारे प्रकाशनों की विक्री द्वारा प्राप्त होता है उससे हमें अपनी सुविधाएं बढ़ानी चाहिये ताकि अधिक साहित्य का उत्पादन हो जिससे अंधों की आंखें खुलेंगी और हृदय को वंजर भूमि टूटेगी. ककेप 70.1
मुझे आदेश दिया गया कि जहाँ लोग प्रचारक द्वारा संदेश सुनते हैं वहां पर भी कैनवेसर धम्र्माध्यक्ष के साथ सहयोग द्वारा अपना काम जारी रख सकता है;क्योंकि यदि धर्माध्यक्ष संदेश को विश्वस्त रुप में पेश भी करे फिर भी उस सब को व स्मरण नहीं रख सकते. इस लिए छपे हुये पर्चे अत्यावश्यक हैं, लोगों के अन्दर इस समय के सत्य के महत्व को ओर न केवल जागृति पैदा करने हेतु किन्तु उनको सत्य में दृढ़ तथा मजबूत बनाने और धोखे पूर्ण गलतियों के प्रति स्थिर करने के हेतु आवश्यक है. समाचार पत्र तथा पुस्तकें परमेश्वर के साधन हैं जिनके द्वारा इस समय का संदेश लोगों के सामने निरंतर रखा जा सकता है. लोगों के मनों को प्रकाशित करने और उन्हें सत्य में दृढ़ बनाये रखने के हेतु हमारे प्रकाशन वह भारी काम करेंगे जो उपदेशक अकेला नहीं कर सकता. कैनवेसर की मेहनत द्वारा ये मौनदूत जो घरों में पहुंचाये जाते हैं ये हर प्रकार से सुसमाचार के सेवाकाई को मजबूत बनायेंगे क्योंकि पवित्र आत्मा लोगों के ह्दयों पर पढ़ते समय उसी प्रकार प्रभाव डालेगा जिस प्रकार वह उनको परमेश्वर का वचन सुनते समय प्रभावित करता है. स्वर्गदूतों का दल जो धर्माध्यक्ष (पादरी)के सेवाकाई में उपस्थित होता है वही सत्य से भरपूर पुस्तकों के पढ़े जाने के समय भी उपस्थित होता है. ककेप 70.2
यदि योग्य विद्यार्थी इन पुस्तकों की विक्री द्वारा अपनी फ्रीस आदि कमाना चाहे तो उसकी सहायता से निमित्त बुद्धिमत्ता से योजना रचनी चाहिये. जो विद्यार्थी इन तरीकों से हमारे किसी प्रशिक्षण विद्यालय में अपनी पढ़ाई का भार संभालने के लिये काफी पैसा पैदा कर लेते हैं, वे बहुत ही महत्वपूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकेंगे, जो उन्हें दूसरे क्षेत्रों में नया काम खोलने के योग्य बनने में सहायता देगा. ककेप 70.3
जब कलीसिया के सदस्य हमारे साहित्य के प्रसार के महत्व को समझ लेंगे तो वे इस काम को करने के लिये अधिक समय लगायेंगे. ककेप 70.4
जब तक दया का द्वार खुला है तब तक कैनवेसर के लिये काम करने का अवसर रहेगा. ककेप 70.5
भाइयों और बहिनों, परमेश्वर प्रसन्न होगा यदि आप अपने रुपये पैसे तथा प्रार्थनाओं द्वारा छापेखाने को मजबूती से सम्भाले रहेंगे. प्रात: और सायं प्रार्थना कीजिए कि इस काम पर परमेश्वर का बड़ा आशीर्वाद रहे. समालोचना तथा असन्तुष्टता को प्रोत्साहन न दो. आपके मुँह से कुड़कुड़ाने तथा असन्तुष्टता प्रगट करने की कोई बात न निकले. यदि रखो कि स्वर्गदूत इन बातों को सुनते हैं. सब को जान लेना चाहिये कि ये संसथाएं परमेश्वर की ओर से नियुक्त की गई हैं. जो लोग अपने हितों की पूर्ति के लिये इनकी निंदा करते हैं उनको परमेश्वर को हिसाब देना होगा. उसका अभिप्राय है कि प्रत्येक वस्तु जो उसके काम से सम्बन्धित है पवित्र जैसी समझी जाय. ककेप 70.6