कलीसिया के लिए परामर्श

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अध्याय 44 - नौजवानों से एक विनती

प्रिय नौजवान मित्रों जो कुछ आप बोते हैं, वही काटोगे.अभी आप के बोने का समय है.फसल कैसी होगी?आप क्या बो रहे हैं? प्रत्येक शब्द जो आप बोलते हैं या प्रत्येक कार्य जो आप करते हैं,वह बीज है जो अच्छा या बुरा फल लावेगा.बोने वाले के हृदय में परिणाम स्वरुप खुशी या दु:ख होगा. जैसा बीज बोया जायेगा, वैसा ही फसल होगी.परमेश्वर ने आप को बड़ी ज्योति और बड़े अवसर दिये हैं.प्रकाश मिल जाने के बाद आप के सब खतरों को स्पष्टता से दर्शाये जाने के बाद उत्तरदायित्व आप के ही ऊपर आ जाता है. आपके सुख और दुःख का माप दण्ड यही है कि आप परमेश्वर के दिये हुये प्रकाश का उपयोग किस प्रकार करते हैं, आप अपने भविष्य के निर्माता स्वयं ही हैं. ककेप 242.1

आपका प्रभाव दूसरों के चरित्र और मस्तिष्क पर अच्छा या बुरा अवश्य पड़ता है. और वही प्रभाव स्वर्ग की पुस्तक में अंकित किया जाता है.एकदूत सदैव आप के शब्दों और कार्यों का लेखा लेने के लिए हमेशा आप के साथ है.जब आप प्रात:काल सो कर उठते हैं क्या आप परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता मालूम करते हैं? और क्या नम्रतापूर्वक हुदय से अपनी आवश्यकताओं को स्वर्गीय पिता पर प्रगट करते हैं? यदि हां, तो दूत आप की प्रार्थना को लिखते हैं यदि यह केवल होठों से ही न निकली हुई हों.जब आप अचानक ही कोई गलत या पूरे खतरे में पड़ने वाले हों जिसका प्रभाव दूसरों को भी गलत रास्ते पर ले जाना है तो यह संरक्षक दूत आप की ओर होगा और आप को उत्तम मार्ग पर चलाएगा, आप के शब्दों को चुनेगा और कार्यों को प्रभावित करेगा. ककेप 242.2

यदि आप को कोई भय न हो और यदि आप परीक्षाओं का सामना करने की शक्ति और सहायता के लिए प्रार्थना न करें तो आप अवश्य ही बहक जाएंगे, आप के कर्तव्यों को न करने की बात स्वर्ग पर ईश्वर की पुस्तक में लिख ली जायेगी और आप परीक्षा के दिन तोल में कम निकलेंगे. ककेप 242.3

आप के चारों ओर बहुत से ऐसे हैं जिनको धार्मिक शिक्षा दी गई हो और बहुत से बुरी आदतों में पड़ने और अत्यधिक लाड़-प्यार,झूठी सच्ची प्रशंसा के कारण बिगड़ गये हों. मैं उन मनुष्यों के विषय में बात कर रही हैं जिनको मैं अच्छी तरह जानती हैं. उनका चरित्र दिखावटी और चापलूसी की बातों से ऐसा लिपटा हुआ है कि वे इस जीवन के लिए निकम्में हो गये हैं. और यदि इस जीवन के लिए इतना निकम्मे हो गये तो उस जीवन की आशा ही कहां,जहां पवित्रता और शुद्धता और चरित्र में समानता होती है? मैं ने ऐसे व्यक्तिर्यों के लिए प्रार्थना की है तथा उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर बात चीत भी की.मैं ने उनके उस प्रभाव को भी देखा जो दूसरों को घमंड,कपड़ों से प्रेम तथा अनन्त बातों के प्रति उदासीनता के गर्त में गिराते हैं.इस प्रकार के लोगों के लिए केवल आशा यही है कि वे अपनी चाल को सुधारें,धमंड तोड़कर नम्र बनें, अपने पापों से पश्चाताप कर,ईश्वर की ओर फिरें कि परिवर्तित किये जायें. ककेप 242.4