कलीसिया के लिए परामर्श
अध्याय 31 - पति-पत्नी में परस्पर सम्बन्ध
जो विवाह को परमेश्वर की व्यवस्था द्वारा सुरक्षित एवं उसके द्वारा स्थापित एक पवित्र विधि समझते हैं वे विवेक बुद्धि की अनुज्ञाओं के नियंत्रण में रहेंगे.यीशु मसीह ने मनुष्य के किसी भी वर्ग को अविवाहित जीवन के लिए बाध्य नहीं किया.वह विवाह विधि का अन्त करने नहीं आया परन्तु उसकी प्रारंभिक पवित्रता का समर्थन करके उसे प्रतिष्ठित करने आया था.जिस कौटुम्बिक सम्बन्ध में पवित्र नि:स्वार्थ प्रेम का सामाज्य होगा उस पर मसीह की आनन्दमय दृष्टि बनी रहेगी. ककेप 191.1